Sunday, 13 October 2013
Tuesday, 19 February 2013
Monday, 19 December 2011
त्याग और तपस्या का नाम गणेश सिंह गरीब
गणेश सिंह नेगी गरीब पुत्र स्वर्गीय श्री चन्दन सिंह नेगी एवं स्वर्गीय कंठी देवी १ मार्च १९३७ को गाँव सूला पट्टी आसवालस्यूं कल्जीखाल ब्लाक पौड़ी गढ़वाल में जन्म,शिक्षा डी ए वी इंटर कॉलेज देहरादून से,विवाह १९६० में सरस्वती देवी ग्राम खांडा तल्ला पट्टी आसवालस्यूं के साथ, जीवन- नौकरी का मोह नहीं रहा दिल्ली में लोदी कालोनी में manufacturing व रेपयरिंग का कार्य १९६१ से १९८१ के मध्य,मूल विचार-पर्वतीय छेत्रों के विकास के भूमि सुधार व चकबंदी ही एक मात्र विकल्प है,पहल-पहाड़ में स्वरोजगार व स्वावलंबन के लिए स्वयं प्रयोग करने के लिए २६ जनवरी १९८१ में दिल्ली गाँव में बसने चले आये. १८ नाली बंजरके भूमि को चन्दन वाटिका नाम से आबाद कर लोगो के सम्मुख चकबंदी का उदहारण प्रस्तुत किया.अभियान- चकबंदी के लिए पर्वतीय चेत्र के सैकड़ो गाँव में पदयात्राएं,विचारगोष्ठी,जनसंपर्क के दौरान जनता में पोस्टर व पर्चो से जनजागरण,सम्मेलनों का आयोजन- विकास खंड स्तर पर , जिला स्तर में पोड़ी गढ़वाल में,चकबंदी कार्यकर्ताओं का राज्य स्तर पर सम्मलेन,भ्रमण= विकास खंड अधिकारी बुधिबल्लभ दुन्दी के सहयोग से वर्ष १९९२ में १२ दिनों तक हिमाचल प्रदेश के शिमला व मंडी जिलो में चकबंदी योजना का अध्यन,सम्बंधित प्रकाशन: पुस्तिका उज्जवल और हमारा दायित्व वर्ष १९७८, गागर में सागर स्मारिका १९८७, पुस्तक पर्वतीय विकास और चकबंदी १९९०,चकबंदी आन्दोलन: विभिन संगठनों के वैनर के तहत इस आन्दोलन को गरीब जी के सयोजक्त्व में चलाया गया. जिनमे अखिल भारतीय प्रगतिशील गढ़वाली संगठन, दिल्ली १९७७,पर्वतीय विकास संगठन कल्जीखाल १९८४, मजदूर कृषक संघ कल्जीखाल १९८६, पर्वतीय चकबंदी समिति पोड़ी १९८८,चकबंदी परामर्श समित कोटद्वार २०००,मूल नागरिक किसान मंच कल्जीखाल 2001,विविध: आकाशवाणी केंद्र नजीबाबाद एवं पौड़ी से सम्बंधित विषय पर ४० वार्ताएं दर्जनों पत्र पत्रिकाओं व स्मारिकाओ में सम्बंधित लेखों का प्रकाशन,जनमत सर्वेक्षण: पाँच बार वर्ष-२०००,२००१ ,२००२,२००३ ,२००७ में ,चकबंदी का प्रयोग: चन्दन वाटिका ग्राम सूला १९८१, कीर्तिबाग़ ग्राम हुलाकीखाल खिसू १९८५, प्रेमविहार ग्राम तचवाद एकेश्वर 1988, अन्य प्रयास: चकबंदी को लेकर प्रधानमंत्री,मुख्यमंत्रियों, राज्य के केन्द्रीय मंत्रियों,सांसदों. विधायको,योजनाआयोग,उच्चाधिकारियों, मीडिया के लोगो से सम्पर्क व पत्राचार,
प्रभाव: तत्कालीन सांसाद लोकसभा एवं वर्तमान मुख्यमंत्री भुवनचंद खंडूरी 24 मार्च १९९३ को एवं राज्यसभा सदस्य मनोहरकान्त ध्यानी के द्वारा १९९७ में संसड में प्रश्नकाल में चंबंदी पर प्रश्न रखा,भूमिका: २७ सितम्बर १९८९ में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा पर्वतीय चेत्र में चकबंदी का निर्णय, १९९० में चकबंदी आयुक्त द्वारा चकबंदी सर्वेक्षण दल भेजा,१९९१ में पौड़ी एवं अल्मोड़ा में चकबंदी कार्यालयों की विधिवत स्थापना, नवसृजित राज्य में पहली बार राजस्वमंत्री श्री हरक सिंह रावत के पहल पर २००३ में चकबंदी परामर्श समिति का गठन,
मनोनयन: राज्य सरकार की चकबंदी परामर्श समिति में नामित सदस्य २००३,राज्य सरकार द्वारा गठित भूमि सुधार परिषद में नामित सदस्य २००४, राज्य सरकार द्वारा गठित उच्च स्तरीय चकबंदी समिति में नामित सदस्य २००९, सम्मान: अनेको संस्थावों द्वारा सम्मानित.
Gansh
Gareeb was born to Chandan Singh Negi and Kanthi Devi on 1st
March.1937 in a small village called Soola Patti.,Pauri Garhwal in the Indian
state of Uttarakhand.. He studied at DAV Inter College, Dehradun. He got
married to Saraswati Devi in 1960. He went to Delhi in 1961 where he started
the repairing work of redio from 1961 to
1981. But all along he kept thinking about the development of his native place
in the hills. This brought him back to his village in 1981.Realizing that only
land reforms could better the misery of the hilly people. In order to stress
upon the importance of land consolidation he changed the face of 18 Naali
barren land by transforming it into a fertile agricultural zone. To spread more
awareness he walked from one place to another pasting posters and distributing
pamphlets and organizing meetings. He brought together the land consolidation
workers at block, district and state levels. He toured extensively. In 1992 he
went to the districts of Shimla and Mandi in the neighbouring hill state of
Himachal Pradesh to study the Land Consolidation Project. He published some journals like Pustika
Ujjwal Bhavishya and Hamara Daiytwa (1978), Gagar Mein Sagar Smarika (1987),
Parvatiya Vikas aur Chakbandi (1990). This programme was carried forward under
his supervision under the banners of other land reform agencies too. These were
– Akhil Bhartiya Pragatisheel Garhwali Sangathan , Delhi (1977), Pravatiya
Vikas Sangathan, Kaljikhal Pauri Gharwal (1984), Mazdoor Krishant Sangathan,
Kaljikhal , Pauri Garhwal (1986), Chakbandi Pramarsh Samiti, Pauri (1988),
Chakbandi Paramarsh Samiti Kotdwara, Pauri Gharhwal (2000), Mool Nagrik Kishan
Manch, Kaljikhal Pauri Gharwal (2001) to till date.He also participated
in 40 radio- talk shows on Land Consolidation at the All India Radio studios at
Najibabad and Pauri. He published a tremendous amount of literature on the
subject. General Surveys were conducted for five years from 2000 to 2005. He
demonstrated the use of a land consolidation project at Chandan Vatika ,
village Soola in 1981,Kirtibagh,Village Hulakikhal,Khirsu, 1987,
Premvihar,Village Tachvad Akeshvar,1988, and his other efforts included contact
and correspondence with the state ministers, MLAs and parliamentarians. He also
met the higher officials in the planning Commission and the media.MP B C
Khanduri and Rajya Sabha member Manoharkant Dhyani raised chakbandi related
questions in Lok Sabha 1993 and Rajya Sabha 1997 respectively. On 27 September 1989 the UP government took the
decision of land consolidation in the hilly regions .In 1990 a Land
Consolidation Survey team was sent as a result of which Chakbandi offices were
established at Pauri and Almora. When Uttarakhand became a state a Land
Consolidation Advisory Committee was formed by the initiative of minister Harak
Singh Rawat in 2003. Ganesh Gareeb was a nominated member of this committee. He
was also a nominated member in the state government established Land Reforms
Parishad in 2004,and also a member of a high level committee on land
consolidation in uttarakhand in 2009. Gareeb Ganesh has been honoured and
fecilitated by several organizations.
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